हिंदी सिनेमा के एक युग का प्रतीक और ‘भारत कुमार’ के उपनाम से विख्यात, वयोवृद्ध अभिनेता मनोज कुमार का लंबी बीमारी के बाद आज, 23 जुलाई 2025 को निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर ने फिल्म जगत और उनके करोड़ों प्रशंसकों को शोक में डुबो दिया है। मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई, 1937 को अविभाजित भारत के अब्दुल रशीद खान के रूप में हुआ था, जिन्होंने बाद में अपना नाम बदलकर अपने बचपन के आदर्श दिलीप कुमार की फिल्म ‘शबनम’ के नायक ‘मनोज’ से प्रेरित होकर मनोज कुमार रख लिया।
भारत कुमार के नाम से थे मशहूर
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1957 में फिल्म ‘फैशन’ से की, लेकिन असली पहचान 1965 की ऐतिहासिक फिल्म ‘शहीद’ से बनी, जहां उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का किरदार निभाया। इस फिल्म ने न केवल उन्हें स्टार बनाया, बल्कि उनकी छवि को देशभक्त नायक के रूप में स्थापित किया। उन्होंने ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ और ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम, ग्रामीण विकास और सामाजिक न्याय जैसे राष्ट्रीय विषयों को मुख्यधारा सिनेमा में प्रभावी ढंग से पेश किया। उनकी अदाकारी की विशिष्ट शैली, विशेषकर तिरंगे को सलाम करने का उनका अंदाज, दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए अंकित हो गया।
87 साल की उम्र में हुआ निधन
मनोज कुमार ने न सिर्फ अभिनय बल्कि निर्माण और निर्देशन में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनकी फिल्म ‘उपकार’ (1967) ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलाया। उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन करती थीं बल्कि देशप्रेम और सामाजिक जागरूकता का संदेश भी देती थीं। 1992 में उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान के लिए पद्म श्री और 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनके प्रसिद्ध डायलॉग जैसे “मेरा नाम है जॉन… जॉन जानी” (‘रोटी कपड़ा और मकान’) आज भी लोकप्रिय हैं।
उनके निधन से हिंदी सिनेमा ने एक ऐसा स्तंभ खो दिया है जिसने दशकों तक दर्शकों को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत किया। उनकी विरासत उन देशभक्ति की कहानियों के रूप में जीवित रहेगी जो उन्होंने पर्दे पर साकार कीं। उनके शोकाकुल परिवार, जिसमें उनकी पत्नी शशि गोस्वामी और दो बेटे शामिल हैं, और उनके असंख्य प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदनाएं। मनोज कुमार सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा में राष्ट्रप्रेम के प्रतीक थे, और उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।