72 लोगों का भारतीय परिवार: रोज लगता है 10 लीटर दूध और 1200 रुपये की सब्जी, जानें साथ में कैसे रहता है परिवार

महाराष्ट्र राज्य भारत की सामूहिक परिवार संस्कृति का अनूठा प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ दो अद्भुत परिवार 75 और 72 सदस्यों के साथ संयुक्त कुटुंब प्रणाली को साकार कर रहे हैं: इस परिवार की दैनिक खपत किसी छोटे होटल जैसी है – प्रतिदिन 10 लीटर दूध और 1200 रुपये मूल्य की सब्जियाँ। उनकी अनूठी व्यवस्था में पूरे साल का राशन एक साथ खरीदकर भंडारण करना शामिल है। परिवार का संचालन 15 विवाहित जोड़ों द्वारा सामूहिक निर्णयों से होता है, जहां सभी कमाऊ सदस्य आय का 40% एक केंद्रीय कोष में जमा करते हैं। इसी कोष से शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामूहिक खर्चे वहन होते हैं। भोजन तैयार करने की जिम्मेदारी महिलाओं की टीम 6 चूल्हों पर रोटेशन के आधार पर निभाती है।

इसे कहते हैं संयुक्त परिवार

बुलढाणा का दांगे परिवार (72 सदस्य): यह परिवार 150 साल पुरानी, 27 कमरों वाली विशाल हवेली में चार पीढ़ियों के साथ रहता है। उनकी दैनिक आवश्यकताओं में 50 किलो आटा और 40 लीटर दूध शामिल है। उन्होंने एक कुशल “ड्यूटी रोस्टर प्रणाली” विकसित की है, जहां हर महीने एक अलग परिवार शाखा राशन, बिल भुगतान और घर के प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालती है। कमाऊ सदस्य आय का 30% सामान्य कोष में देते हैं। उनकी 90 एकड़ कृषि भूमि का प्रबंधन भी सामूहिक रूप से होता है।

साझा मूल्य और महत्व

दोनों परिवारों की सफलता का रहस्य सामूहिक निर्णय, वरिष्ठों के प्रति सम्मान, संपत्ति में सामूहिक अधिकार की भावना और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ऊपर परिवार के हित को प्राथमिकता देने में निहित है। पाटील परिवार में रोज शाम की चौपाल और दांगे परिवार में बुजुर्गों की पंचायत विवाद निपटान और सामंजस्य बनाए रखने का काम करती है।

ये परिवार आधुनिक युग में “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना को जीवंत करते हैं। सोलापुर के पाटील परिवार को “ग्रामीण संस्कृति का जीवंत संग्रहालय” और बुलढाणा के दांगे परिवार को “संयुक्त परिवारों का हीरा” कहा जाता है। ये न केवल सामाजिक सद्भाव के प्रतीक हैं, बल्कि एकल परिवारों के बढ़ते चलन के बीच सामूहिक जीवन की टिकाऊता और सामाजिक सुरक्षा तंत्र को भी रेखांकित करते हैं। इनका अस्तित्व भारतीय परिवार व्यवस्था की मजबूती का एक जीवंत प्रमाण है।