भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही 1000 रुपये के नए करेंसी नोट की तस्वीर को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है। आरबीआई के प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि यह तस्वीर पूरी तरह से नकली है और भारत सरकार या आरबीआई द्वारा 1000 रुपये का कोई नया नोट जारी नहीं किया गया है। इस तरह की भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
कैसे शुरू हुई अफवाह?
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही थी, जिसमें 1000 रुपये के नए डिजाइन वाले नोट को दिखाया गया था। इस नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ-साथ QR कोड और कुछ नए सुरक्षा फीचर्स भी दिखाए गए थे। इस पोस्ट के साथ दावा किया गया था कि यह नोट जल्द ही प्रचलन में आने वाला है।
आरबीआई की प्रतिक्रिया
आरबीआई ने इस मामले पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए एक आधिकारिक बयान जारी किया है:
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“भारतीय रिजर्व बैंक ने 1000 रुपये के किसी नए नोट को जारी नहीं किया है”
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“वायरल हो रही तस्वीर पूरी तरह से फर्जी और भ्रामक है”
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“जनता से अनुरोध है कि ऐसी अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट से ही जानकारी प्राप्त करें”
क्यों फैलाई जा रही हैं ऐसी अफवाहें?
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी अफवाहें फैलाने के पीछे कई उद्देश्य हो सकते हैं:
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फिशिंग अटैक्स: लोगों को गलत लिंक्स पर क्लिक करवाकर उनके बैंक डिटेल्स चुराना
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वायरल कंटेंट के जरिए पैसा कमाना
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अस्थिरता फैलाकर आर्थिक बाजारों को प्रभावित करने की कोशिश
जनता के लिए सलाह
आरबीआई ने जनता को निम्नलिखित सलाह दी है:
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किसी भी अनाधिकारिक स्रोत से मिली करेंसी संबंधी जानकारी पर विश्वास न करें
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नए नोटों या सिक्कों के बारे में केवल आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट (www.rbi.org.in) से ही जानकारी प्राप्त करें
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ऐसी कोई भी संदिग्ध जानकारी मिलने पर स्थानीय बैंक शाखा या पुलिस को सूचित करें
कानूनी प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 505 के तहत झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाना एक दंडनीय अपराध है, जिसमें 3 साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।
डिजिटल युग में ऐसी अफवाहें तेजी से फैलती हैं, जिससे आम जनता में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। यह घटना हमें यह सीख देती है कि किसी भी वायरल हो रही जानकारी को बिना सत्यापन के स्वीकार नहीं करना चाहिए। आरबीआई जैसे वित्तीय संस्थानों की आधिकारिक वेबसाइटें और प्रेस विज्ञप्तियां ही विश्वसनीय स्रोत हैं।